ब्रह्मरुद्रेन्द्रचन्द्रादि गीवा॑णगण वन्ढित
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥१॥

कारुण्यपूण॑ नेत्राभ्यां सज्जनानन्द दायक
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥२॥

पराशरषयोराशि समुदभूतकलानिधे
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥३॥

वासवीनन्दनश्रीश वासवानुज वत्सल
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥४॥

वेदवेदांगवेदान्तप्रतिपाद्यपरात्पर
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥५॥

वन्दारुजनमन्दार वृन्दारकनिषेवित
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥६॥

मन्दस्मित मनोहारि सुन्दरानन माधव
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥७॥

शारणागतभक्तौघभवसागरतारक
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥८॥

कोटिकोटीन्दु संकाश मेघगम्भीरनिस्वन
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥९॥

प्रसन्नमुखचन्द्रांशुनतसंतापनाशक
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥१०॥

वासिष्ठकुलपूणे॑न्दॉ मुनिवंशप्रदीपक
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥११॥

ज्ञानाभयकराम्भोज सुशोभितकरद्वय
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥१२॥

ढयापूण॑कटाक्षेण व्यासदेव दयानीघे
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥१३॥

सव॑शक्त जगन्नाथ सच्चिदानन्द विग्रह
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥१४॥

सन्तुष्टमनसा नित्यं स्तोत्रेणानेन संस्तुत
ज्ञानाभयप्रदानेन प्रपन्नानुद्धर प्रभो ॥१५॥ॐ॥

 Sri Vyasa Prarthana Sthothram composed by H. H. Srimad Sudhindra Thirtha Swamiji
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